गढ़चिरोली : नागरिकों ने 26 भरमार बंदूकें और 11 बैरल पुलिस को सौंपीं


गढ़चिरोली : नागरिकों ने 26 भरमार बंदूकें और 11 बैरल पुलिस को सौंपीं
– जनता का पुलिस पर भरोसा और मजबूत
The गडविश्व
गढ़चिरोली, दि. 24 : गढ़चिरोली जिले के नागरिक अब माओवादी विचारधारा को त्यागकर शांति और विकास के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं। दुर्गम इलाकों के लोगों ने स्वेच्छा से अपने पास मौजूद हथियार पुलिस के हवाले करना शुरू कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जनता का पुलिस पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

हाल ही में थाना वांगेतुरी क्षेत्र के हिंदुर, नैनवाड़ी और तोडगट्टा जैसे अति दुर्गम गांवों के नागरिकों ने अपने पास रखी 26 भरमार बंदूकें और 11 बंदूकों के बैरल स्वेच्छा से गढ़चिरोली पुलिस के सुपुर्द किए।

गढ़चिरोली जिले में घने जंगलों का बड़ा क्षेत्र है। पारंपरिक खेती के साथ कई ग्रामीण शिकार कर अपना गुजारा करते हैं। वन्य प्राणियों से सुरक्षा और शिकार के लिए उनके पास पीढ़ियों से बंदूकें रही हैं। मगर माओवादी इन परिस्थितियों का फायदा उठाकर ऐसे शस्त्रधारी नागरिकों को अपनी विचारधारा में शामिल करने की कोशिश करते थे।

पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में आमूल परिवर्तन आया है। पिछले पांच वर्षों में गढ़चिरोली जिले का कोई भी युवा माओवादी आंदोलन में शामिल नहीं हुआ, जो पुलिस की जनसंपर्क एवं नागरीकरण पहल की बड़ी सफलता है।

पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने कुछ दिन पूर्व नागरिकों से अपील की थी कि अपने पास रखी अवैध या निष्क्रिय भरमार बंदूकें स्वेच्छा से नजदीकी थाने में जमा करें। इस आव्हान को स्वीकार करते हुए वांगेतुरी क्षेत्र के नागरिकों ने अपने हथियार पुलिस को सौंपे।

यह कार्रवाई उपविभागीय पुलिस अधिकारी हेडरी योगेश रांजणकर के नेतृत्व में, थाना प्रभारी दिलीप खडतरे, पो.उ.नि. सादुलवार, पो.उ.नि. काळे, सीआरपीएफ अधिकारी एवं स्थानीय अमले के संयुक्त प्रयासों से सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, जिले में बड़ी संख्या में नागरिकों ने बंदूकें पुलिस को सौंपी हैं –
वर्ष 2022 – 73 बंदूकें,
वर्ष 2023 – 46 बंदूकें,
वर्ष 2024 – 26 बंदूकें,
वर्ष 2025 (अब तक) – 29 बंदूकें और 12 बैरल।
इस तरह अब तक गढ़चिरोली जिले के नागरिकों ने कुल 365 भरमार बंदूकें पुलिस के सुपुर्द की हैं।

यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जनता के मन में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है और माओवादी आंदोलन का प्रभाव तेजी से खत्म हो रहा है। नागरीकरण कार्यक्रमों के चलते दुर्गम इलाकों के नागरिक अब भयमुक्त वातावरण में जीवन जी रहे हैं और शांति व विकास का नया अध्याय शुरू हुआ है।

इस उल्लेखनीय कार्य के लिए पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने संबंधित अधिकारी-अमले तथा हथियार जमा करने वाले नागरिकों की सराहना करते हुए कहा कि यह सफलता पुलिस दल के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।

यह पूरी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल, अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) एम. रमेश, अपर पुलिस अधीक्षक अहेरी (प्राणहिता) सत्य साई कार्तिक, अपर पुलिस अधीक्षक (प्रशासन) गोकुल राज जी., तथा उपविभागीय पुलिस अधिकारी हेडरी योगेश रांजणकर के मार्गदर्शन में संपन्न हुई।

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